इन इलाकों में रहने वाले कई लोग शहरी संपन्नता को अपने यहां खुशी-खुशी आने देते हैं, पर खुले विचारों को अपने पास नहीं फटकने देना चाहते
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अपराध करने की आजादी के बीच हमारी सामाजिक स्थिति का ऐसा कुत्सित रूप उभरकर आया है, जो शहरी संपन्नता और ग्रामीण गरीबी को एक साथ प्रस्तुत कर हमारी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।
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अपराध करने की आजादी के बीच हमारी सामाजिक स्थिति का ऐसा कुत्सित रूप उभरकर आया है, जो शहरी संपन्नता और ग्रामीण गरीबी को एक साथ प्रस्तुत कर हमारी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।